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अंतिम मुलाकात | Gayatri

Writer: FanatiXx OutreachFanatiXx Outreach

हर रोज की तरह मैं अपने बिस्तर पर सोने गयी l दिन भर काम की वजह अपने लिए समय नहीं निकल पाती थी l ये रात ही जो मुझे मुझसे मिलती है सुख, दुख, अच्छी, बुरी बातें याद करवाती है ये सब सोचते हुए मैंने करवट बदल ली l फिर मैंने आंखें बंद की, फिर कुछ समय बाद किसी आहट मेरी आंखें खुल गई आँखें खुलते ही मैंने समय देखा करीब रात के तीन बज रहे थे, मैंने सोचा ये आवाज कहाँ से आयी है? ये सब सोचते हुए मैं अपने बिस्तर पर उठी ही थी, तभी मेरी नज़र बिस्तर के एक किनारे पर पड़ी l वहां कोई खड़ा था, ध्यान से देखा तो वो मेरे पापा थेl उनके चेहरे वही पहले जैसी प्यारी सी मुस्कान थी, जो हमेशा उनके दर्द को छिपा लेती थी और उनकी आँखों में पहले तरह दर्द था और नमी थी जैसे कह रही हो मुझसे |


" बेटा तुम चिंता मत करो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ "



मानो कि जैसे वो मेरी हिम्मत बढ़ाने के लिए आये हो...थोड़ी देर के लिए मैं स्तब्ध हो गयी थीl फिर होश में आते ही मैंने सोचा की ये मैं क्या दिख रही हूँ? मुझे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था! मेरे पापा सचमुच मेरे सामने है! मेरे कंठ से मेरे शब्द बाहर नहीं आ रहे थे..बस आँखों में आँसू आ रहे थे, जो बिन बोले भावनाएं प्रकट कर रहे थे l फिर मेरे आंसू देखकर मेरे पापा की मुस्कान गायब हो गयी, जो थोड़ी देर पहले उनके आँखों में दर्द झलक रहा था , अब तो वो भी आंसू में बदल गए और इसी आंसुये की साथ वो अचानक से मेरे सामने ही गायब हो गए! मैं समझ नहीं पायी ये! क्या हुआ? मेरे साथ! अभी मेरे पापा मेरे सामने थे! अब नहीं! ये कैसे हो सकता? ये सब सोच ही रही थी तभी आलार्म बचा और मेरी आंख खुल गयी फिर मैंने देखा की सुबह की छह बजे थे और महसूस किया मेरी आँखें नम है जो पूरी तरह मेरे तकिये को भीगा दिया था l मै फिर से हैरान हुई! ये क्या था?

'सपना या हकीकत'


Gayatri

Guidelines for the competition : https://www.fanatixxpublication.com/write-o-mania-2023

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