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बहादुर आशी | Rekha Malhan

Writer: FanatiXx OutreachFanatiXx Outreach

आशी अभी 13 सावन में ही प्रवेश कर पाई थी। कितनी खूबसूरत थी, यह शायद उसको खुद भी अंदाजा नहीं था। देखने वाले देखते ही रह जाते हैं। और कहते कि आशी तुम्हारी आंँखें ऐसी लगती है मानो सागर की गहराई हो, और तुम्हारी मुस्कुराहट तो ऐसे जैसे एक बगीचे में असंख्य फूल खिल गए हो, बाल भी ऐसे थे आशि के जैसे मेघ काली घटा बनकर छा गए हो। सुंदर ही नहीं थी आशी व्यवहार कुशल भी थी । पूरे परिवार के साथ -साथ पड़ोस की दुलारी भी थी वह। कभी किसी के काम को मना नहीं करते थी आशी।

अभी आठवीं कक्षा में प्रवेश लिया था उसने, सभी शिक्षकों की प्रिय बन गई थी वह। क्योंकि सभी कार्य समय पर संपन्न करना, दूसरे छात्रों की मदद करना, शिक्षकों की प्रिय होने का एक कारण यह भी था -कि वह अध्यापकों की मदद उनके रजिस्टर पूरे करने में, उन्हें सुंदर चित्रकारी से सजाने में कापियों को खोल कर चैक करने में मदद करवाती थी। इन सब के बावजूद भी वह अपनी पढ़ाई को कभी पीछे नहीं छोड़ती। कोई भी सवाल उससे पूछे तो फटाफट जवाब दे देती थी, परंतु उसे अपनी होशियारी पर कभी घमंड नहीं था। बल्कि वह तो सहज- सरल स्वभाव से सबकी मदद करती थी । ऐसे गुण एक ही आशी में समाहित है। और जब कभी खाली होती आशी तो उस समय मांँ के काम में मदद करती। अपना ध्यान कभी इधर -उधर न भटकाती। माता -पिता तो ऐसी संतान को पाकर फूले न समाते। उसकी माँ तो हमेशा यही कहती- "हे ईश्वर ऐसे नेक संतान सबको दे, क्योंकि जब हमारे संतान अच्छी निकल आती है तो स्वर्ग यही मिल जाता है।" गर्मियों की छुट्टियां कोई आशु अपनी मां के साथ मामा के घर आई थी वहां पर भी आशी में मामा मामी का मन मोह लिया क्योंकि मामी को घर के कामकाज के साथ-साथ गाय भैंस का काम खेत का काम भी देखना होता है ऐसे में यदि घर में दो मेहमान और आ जाए तो काम तो बढ़ ही जाएगा ना परंतु आशी ने मामी के मन को मोह लिया जब तक मामी लोड से पैसों का पानी चारा करके आती तो आखिरी घर को गुहार ना पोछा लगाना आटा लगा के रखना सब्जी काट देना आदि सभी काम निपटाए पाते मामी मन ही मन सोच थी कि शहर की रहने वाली लड़की किस तरह से घर का सारा काम इतनी छोटी उम्र में संभाल लेते हैं और दोनों घंटों बैठकर बातें करती आशी अपने स्कूल की बात मामी को बताती तो मामी अपने किस्से सुनाती दोनों सखियों की भांति बातें करती थी ।


किन्तु काल का फेरएक दिन मामी की तबीयत कुछ खराब हो गई। और उनसे उठा नहीं जा रहा था। फिर कैसे प्लॉट में भैंसों को संभालने जाए, मांँ भी आशी को छोड़कर कुछ दिन के लिए घर चली गई थी, क्योंकि आशी के पिताजी को कुछ जरूरी काम से बाहर जाना पड़ गया था। भाई घर पर अकेला था। परंतु मामी की असमंजस को देखकर आशी ने भाँप लिया कि मामी सोच रही है भैंसों को चारा कौन डालेगा? पानी कौन पिलाएगा ? मामा जी भी तो बड़े सवेरे मंडी चले गए थे। आशी ने एक खूबसूरत सी मुस्कान बिखेरते हुए कहा- मामी आप क्यों घबराती हो? मैं हूंँ ना । मैं चली जाऊंगी प्लॉट में काम करने। मामी ने कहा अरे नहीं बेटा तू शहर की छोरी, तुझसे ना होगा यह सब काम मैं ही थोड़ी देर में आराम करके चली जाऊंगी। तू रहने दे बिटिया तुझसे ना होगा यह सब। पर आशी थी कि मानी ही नहीं ,बोली मैं कर लूंगी। मैं आपको ना जाने दूंँगी आप को चक्कर आ रहे हैं वहाँ आप को कुछ हो गया तो ? आप आराम करो और मामी के मना करने पर भी वह नहीं मानी।

बात सच ही थी , कि कभी आशी ने यह सब काम नहीं किए थे। अब प्लाट में आकर वह सोच में पड़ गई , कि कितना चारा डाले? कैसे खूंटी से भैंस को खोलें? कैसे गोबर थापे वह यह सब देखकर सोच ही रही थी, कि उसी की उम्र का एक लड़का आया। और उसकी मदद करने के लिए कहा। आशी ने कहा नहीं मैं आपको नहीं जानती मैं आपसे मदद नहीं लूँगी, परंतु उसने आश्वासन दिया और कहा कि अरे! मैं यही पड़ोस में रहता हूंँ, तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारे मामा- मामी को अच्छे से जानता हूंँ। तुम्हें अकेले देख कर मैं तुम्हारी मदद करने के लिया आ गया क्योंकि मुझे पता है। तुम्हें यह सब काम नहीं आता क्योंकि तुम ठहरी शहर की । यह काम तो हम गांँव के लोग ही कर पाते हैं । अब आशीमन ही मन कुछ आश्वस्त हो गई। परन्तु उसे नहीं पता था कि यह मददगार के रूप में एक दरिंदा आया है। क्योंकि अब तक उसने कभी ऐसी घटना ना देखी, थी ना सुनी थी। 13 वर्ष की किशोरी के मन में कोई पाप नहीं था। परंतु उसके मन को वह भाप ना पाई और जैसे ही वह अंदर से चारा लेने गई। उसने उसे पीछे से दबोच लिया। जब उसने देखा तो समझ ना पाई और उसने विरोध किया कि तुम यह क्या कर रहे हो? उस लड़के ने कहा कि तुम इतनी सुंदर हो कि मैं अपने भाव को रोक नहीं पा रहा हूंँ मगर काशी ने पुरजोर कोशिश की और अपने आप को उसके चुंगल से बचाते हुए भागी। और बाहर आकर उसने एक ईंट उठाई और उस दरिंदे के सिर पर दे मारी, तो वह थोड़ा लड़खड़ाया और इतने में ही आशी ने पास रखी बाल्टी उसके सिर पर दे मारी। इस प्रकार वह गिर गया और आशी दौड़ कर बाहर आई और शोर मचाया तो पड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए। और उस वहसी दरिंदे को पकड़कर पीटा और पुलिस को बुलाकर उसे पुलिस के हवाले कर दिया। जब देश शाम को मामा आए तो उन्हें सारी घटना का पता चला तो उन्होंने आशी का माथा चूम लिया। और कहा कि मेरी भांजी आज तू ने पूरे गांँव के सामने एक मिसाल कायम की है। सभी ने आशी की भूरी -भूरी प्रशंसा की तथा गांँव के सरपंच ने उसे ₹10,000 इनाम दिया।


Rekha Malhan

Guidelines for the competition : https://www.fanatixxpublication.com/write-o-mania-2023



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